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कल लखनऊ और उसके आसपास ये अफवाह फैल गई कि "सोते हुए लोग पत्थर बन जाएँगे" इससे लोग रात में भी सो नही पाए। अगर ये अफवाह लोगों को ज...
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- Vivekanand Mishra
- मैं एक सकारात्मक सोच वाला साधारण इंसान हूँ और आदर्श जीवन मूल्यों पर जीवन जीने की कोशिश कर रहा हूँ ।
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बात कद्र और दिलचस्पी की11 years ago
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Tuesday, January 3, 2012
कल लखनऊ और उसके आसपास ये अफवाह फैल गई कि "सोते हुए लोग पत्थर बन जाएँगे" इससे लोग रात में भी सो नही पाए। अगर ये अफवाह लोगों को जगाने में कारगर है तो इसे सच मानकर पूरे देशभर में फैलाये जाने की जरूरत हैं क्योंकि नैतिकता के इस न्यूनतम तापमान एवं भ्रष्टाचार के इस बर्फ़ीले तूफान में सोयी हुई जनता और उनके सोए हुआ ज़मीर कहीं हमेशा लिए जम गए तो फिर जागरण असंभव होगा ।
मैं ये तो नही कहुँगा कि अफवाह अच्छे हैं पर ये अफवाहेँ हमारे हक में है।
Sunday, January 1, 2012
साल 2012 यूँ तो अब शुरू हुआ है पर ये अपनी मौजूदगी हमारे मन-मस्तिष्क में बहुत पहले ही दर्ज करा चुका था ।पिछले एक-दो वर्षों में यह वर्ष काफी चर्चाओं में रहा और अपने आने से पहले ही बहुतोँ को बहुत कुछ दे गया – न्यूज चैनलों को TRP, वैज्ञानिकोँ एक नया प्रोजेक्ट , ज्योतिषियों और पंडितों को नाम-काम और पैसा, जिज्ञासुओँ को जिज्ञासा और ज्यादातर लोगों को डर । डर पृथ्वी के खत्म हो जाने का, डर खुद के खत्म होने का।
हम मौत से इतना क्यूँ डरते हैं ?
बुद्धिजीवी और विचारक कहते हैं – हर दिन को अपना आखिरी दिन समझें। जब हम ऐसा समझते हैं तो हमारे कामों कि सूची में से गैर जरूरी काम हट जाते हैं और सिर्फ वही काम करने को रह जाता है जो अर्थपूर्ण और अतिआवश्यक होते हैं और फिर हम उसे पूरा करने में कोई कसर नही छोड़ते।
इसलिए 2012 के बारे में ये अफवाहेँ भी हमारे हक में है ।
प्रो. अशोक चक्रधर ने सही कहा है की यह वर्ष हमसे कह रहा है -
जो मेहनत करी तेरा पेशा रहेगा
न रेशम सही तेरा रेशा रहेगा ।
अभी कर ले पूरे सभी काम अपने
तू क्या सोचता है हमेशा रहेगा ॥
हम मौत से इतना क्यूँ डरते हैं ?
बुद्धिजीवी और विचारक कहते हैं – हर दिन को अपना आखिरी दिन समझें। जब हम ऐसा समझते हैं तो हमारे कामों कि सूची में से गैर जरूरी काम हट जाते हैं और सिर्फ वही काम करने को रह जाता है जो अर्थपूर्ण और अतिआवश्यक होते हैं और फिर हम उसे पूरा करने में कोई कसर नही छोड़ते।
इसलिए 2012 के बारे में ये अफवाहेँ भी हमारे हक में है ।
प्रो. अशोक चक्रधर ने सही कहा है की यह वर्ष हमसे कह रहा है -
जो मेहनत करी तेरा पेशा रहेगा
न रेशम सही तेरा रेशा रहेगा ।
अभी कर ले पूरे सभी काम अपने
तू क्या सोचता है हमेशा रहेगा ॥
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