Popular Posts
-
देश की चिंता है किसको ? जिसको को है वो कुछ कर नहीं सकता, और जो कुछ कर सकते हैं उनको सिर्फ अपनी और अपनों की चिंता है नेताओं को पैसे के आगे कु...
-
देवों की भूमि कहलाए जाने वाला भारत, जहाँ "भैरो" के नाम से कुत्ते तक को भी कई तीर्थस्थलोँ में जगह दी गई है। वहां जाने वाले लो...
-
एक कहावत है ----- शासक कभी सुधारक नहीं बन सकता है और सुधारक कभी शासक नहीं हो सकता है इसलिए पहले के ज़माने में सुध...
-
आजकल जो कुछ भी भारतीय टेलीविजन की दुनिया में चल रहा है वो बहुत ही चिन्ताजनक है । इससे हमारा वर्तमान ही नही भविष्य भी प्रभावित हो रहा है, क...
-
कल लखनऊ और उसके आसपास ये अफवाह फैल गई कि "सोते हुए लोग पत्थर बन जाएँगे" इससे लोग रात में भी सो नही पाए। अगर ये अफवाह लोगों को ज...
-
लोग मिलाते रहे मुझको कि मैं पिघल जाऊँ । शक्कर कि तरह घुल के किसी से मिल जाऊँ ॥ ढाल कर मुझको अपने सांचे में, अब वो कहते हैं कि मैं बदल ज...
-
सेहत ज्यादा जरुरी है जनाब, काम-धंधे की परेशानी कम कीजिये | शरीर से लीजिए काम जितना मर्जी, मगर दिमाग की बेचैनी कम कीजिये || अगर य...
-
फिल्मों का शौक कम या ज्यादा बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक लगभग सभी रखते हैं। ये शौक अब फ़िल्म देखने से बढ़कर फ़िल्मों में दिखने तक पहुच गया है,...
-
फैशन के दौड़ में आधुनिकता के होड़ में अपने बहु बेटिओं और पोतीओं को पीछे छोड़ती कुछ दादी अम्माएं ब्यूटिशन से कराया गया मेकअप टाइट पैंट...
-
योजनाएं और कानून जो आम जनता और गरीबों के लिए बनाए जातें हैं , वो सिर्फ कहने को गरीबों और आम जनता के लिए होतें हैं . इससे दरअसल फ़ायदा तो उन...
About Me
- Vivekanand Mishra
- मैं एक सकारात्मक सोच वाला साधारण इंसान हूँ और आदर्श जीवन मूल्यों पर जीवन जीने की कोशिश कर रहा हूँ ।
My Blog List
-
बात कद्र और दिलचस्पी की11 years ago
Blog Archive
Categories
Pages
Blogger news
Blogger templates
Blogroll
About
Powered by Blogger.
Thursday, November 18, 2010
आजकल जो कुछ भी भारतीय टेलीविजन की दुनिया में चल रहा है वो बहुत ही चिन्ताजनक है । इससे हमारा वर्तमान ही नही भविष्य भी प्रभावित हो रहा है, क्योंकि आजकल ये युवक-युवतियों की मानसिकता और सोच को बहुत बुरी तरह से बदल रहा है और वे सही और गलत का फर्क भूलने लगे हैं। खासकर युवतियाँ जिन पर समाज और देश का चारित्रिक भविष्य निर्भर करता है। बच्चों में चरित्र के नींव का निर्माण माँ के हाथों होता है। आज की युवतियाँ जो कल माँ बनेंगी, जिनके हाथों आने वाली पीढ़ी के चरित्र की नींव रखी जानी है, वे ही सही और गलत का फर्क भूलने लगीं हैं। और ये आने वाली 'चारित्रिक मन्दी'(Moral Recession) की तरफ इशारा कर रहा है। पीछे आई हुई आर्थिक मन्दी से हमारा देश किसी तरह निकल भी गया है पर उस 'चारित्रिक मन्दी' से निकलना बहुत कठिन होगा ।
Subscribe to:
Posts (Atom)