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लोग मिलाते रहे मुझको कि मैं पिघल जाऊँ । शक्कर कि तरह घुल के किसी से मिल जाऊँ ॥ ढाल कर मुझको अपने सांचे में, अब वो कहते हैं कि मैं बदल ज...
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- Vivekanand Mishra
- मैं एक सकारात्मक सोच वाला साधारण इंसान हूँ और आदर्श जीवन मूल्यों पर जीवन जीने की कोशिश कर रहा हूँ ।
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Saturday, February 19, 2011
लोग मिलाते रहे मुझको कि मैं पिघल जाऊँ ।
शक्कर कि तरह घुल के किसी से मिल जाऊँ ॥
ढाल कर मुझको अपने सांचे में,
अब वो कहते हैं कि मैं बदल जाऊँ ।
वक्त तो बदला नही मेरा एक अरसे से,
सोचता हूँ कि मैं ही बदल जाऊँ ।
सम्भला हूँ मैं कई बार ठोकरोँ बाद ,
अब की पहले ही सम्भल जाऊँ ।
तुम से बिछड़ के हर वक्त तन्हा रहता हूँ ,
चाहे जहाँ जाऊँ मैं जिधर जाऊँ ।
शक्कर कि तरह घुल के किसी से मिल जाऊँ ॥
ढाल कर मुझको अपने सांचे में,
अब वो कहते हैं कि मैं बदल जाऊँ ।
वक्त तो बदला नही मेरा एक अरसे से,
सोचता हूँ कि मैं ही बदल जाऊँ ।
सम्भला हूँ मैं कई बार ठोकरोँ बाद ,
अब की पहले ही सम्भल जाऊँ ।
तुम से बिछड़ के हर वक्त तन्हा रहता हूँ ,
चाहे जहाँ जाऊँ मैं जिधर जाऊँ ।
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